Financial institution of America’s warning: Bitcoin, which is greater than double costly in 21 days, may show to be the most important bubble ever

   2021-01-09 11:01

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नई दिल्लीएक घंटा पहले



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पिछले 24 घंटे में इसने 41,946.74 डॉलर का अब तक का रिकॉर्ड ऊपरी स्तर छू लिया है, 17 दिसंबर 2020 को इसने पहली बार 20,000 डॉलर का लेवल पार किया था

बिटकॉइन की तेजी से बढ़ती कीमत के बीच बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज ने चेतावनी दी है कि यह अब तक का सबसे बड़ा बुलबुला साबित हो सकती है। महज 21 दिनों में दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू दोगुने से ज्यादा बढ़ चुकी है। पिछले 24 घंटे में इसने 41,946.74 डॉलर का अब तक का रिकॉर्ड ऊपरी स्तर छू लिया है। 17 दिसंबर 2020 को इसने पहली बार 20,000 डॉलर का लेवल पार किया था।

बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट माइकल हर्टनेट ने कहा कि बिटकॉइन में तेजी का मुख्य कारण सट्‌टेबाजी हो सकती है। ऐसा लगता है कि यह मदर ऑफ ऑल बबल (अब तक का सबसे बड़ा बुलबुला) साबित हो सकती है। इससे पहले भी कई बार दुनिया के कई हिस्सों में कई संपत्तियों की कीमत में अचानक बेतहाशा बढ़ोतरी हुई। लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद उनकी कीमत धड़ाम से नीचे गिर गई।

2002 में फटा था डॉटकॉम का बुलबुला

1990 के दशक के बुल मार्केट में अमेरिका में इंटरनेट कंपनियों में जबरदस्त निवेश हुआ था, जिसके कारण उन कंपनियों के शेयर कीमत में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई थी। 1995 से 2000 के बीच टेक्नोलॉजी बहुल कंपनियों का इंडेक्स नैसडाक 1,000 से 5,000 पर पहुंच गया था। इसे डॉटकॉम बुलबुला या इंटरनेट बुलबुला कहते हैं। 10 मार्च 2000 को नैसडाक 5,048.62 के पीक पर था। बुलबुला फटने के बाद यह 4 अक्टूबर 2002 को 1,139.90 पर आ गया था। सिस्को, इंटेल और ऑरेकल जैसे ब्लूचिप टेक्नोलॉजी शेयरों में 80 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई थी। नैसडॉक को वापस डॉटकॉम बबल के पीक पर पहुंचने में करीब 15 साल लग गए। 23 अप्रैल 2015 को ही इंडेक्स उस लेवल को क्रॉस कर पाया।

2008 में फट गया था हाउसिंग बुलबुला

अमेरिका में सन 2000 के बाद शुरू हुआ हाउसिंग बुलबुला 2008 में फट गया था। हाउसिंग बुलबुले के दौरान अमेरिका की सरकार ने होम ओनरशिप को खूब बढ़ावा दिया था। बैंकों ने ब्याज दर घटा दी थी और ऐसे ग्राहकों को भी कर्ज दिए जो सामान्य शर्तों के तहत कर्ज हासिल नहीं कर सकते थे। ऐसे ग्राहकों को सबप्राइम बॉरोअर कहा गया। डॉटकॉम बुलबुले के बाद अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा राहत के तौर पर बाजार में बढ़ाई गई नकदी भी बड़े पैमाने पर हाउसिंग मार्केट में आई थी। इस दौरान मकानों की कीमत में बेतहाशा इजाफा हुआ। धीरे-धीरे कीमत स्थिर हो गई और मकानों की आपूर्ति बढ़ गई। जिससे बुलबुला फट गया। इसे सबप्राइम संकट और वित्तीय संकट के नाम से भी जाना जाता है। इसका असर पूरी दुनिया पर और सभी सेक्टरों पर पड़ा था। बाजार में भारी गिरावट आई थी। भारत में सेंसेक्स 21,000 के लेवल से गिरकर करीब 8,000 पर आ गया था।

2017 में एक बार फट चुका है बिटकॉइन का बुलबुला

बिटकॉइन का बुलबुला 2017 में एक बार फट चुका है। 12 नवंबर को 6,200 डॉलर पर ट्र्रेड कर रही बिटकॉइन सिर्फ 1 महीने में 17 दिसंबर 2017 को 19,442 डॉलर पर पहुंच चुकी थी। लेकिन इसके बाद डेढ़ महीने में यानी, 6 फरवरी 2018 को ही वापस गिरकर 6,162 डॉलर पर आ गई थी। इसके बाद 25 जुलाई 2018 को 8,000 डॉलर से ऊपर ट्रेड करने के बाद यह 17 दिसंबर 2018 को 3,200 डॉलर पर आ गई थी। फिर 8 जुलाई 2019 को 11,900 डॉलर को पार करने के बाद 13 मार्च 2020 को यह गिरकर 4,970 डॉलर पर आ गई थी।

भारत में बिटकॉइन ट्रेड पर कोई पाबंदी नहीं है

भारत में बिटकॉइन ट्रेड पर कोई पाबंदी तो नहीं है, लेकिन सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसमें ट्रेड करने के विरुद्ध निवेशकों को सतर्क करते रहते हैं। RBI ने दो साल पहले बैंकों को बिटकॉइन कारोबार करने वाले संस्थानों से खुद को अलग रहने के लिए कहा था। इसके बाद निवेशकों ने यह समझा था कि बिटकॉइन पर देश में पाबंदी है। लेकिन बाद में RBI ने स्पष्टीकरण दिया था कि उसने सिर्फ बैंकों को इस तरह के कारोबार से अलग रहने के लिए सतर्क किया है। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला दिया कि बिटकॉइन में निवेश पर देश में कोई पाबंदी नहीं है।


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